अब खत्म होगी USB-C चार्जरगिंग रूकावट सरकार ने किया बड़ा ऐलान  

By mayur dodke

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टेक डेस्क. भारत में जून 2025 से बिकने वाले सभी स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए USB-C पोर्ट जरूरी करने जा रहा है। यह निर्णय यूरोपीय संघ (EU) पहले ले चुका है। इसे लेकर एप्पल के iPhone में USB-C पोर्ट अपनाने के लिए आग्रह किया था। ऐसा इसलिए किया जा रहा क्योंकि अलग-अलग पोर्ट से आने वाली चार्जिंग समस्याओं से निजात पाया जा सके। इससे यूजर्स को सुविधा ही मिलेगी बल्कि पर्यावरण स्थिरता को बढ़ावा देना है। इससे इलेक्ट्रॉनिक कचरने को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का उठा सकता है बड़ा कदम

भारतीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने निर्देश जारी करने की तैयारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए मानक चार्जिंग पोर्ट के रूप में USB-C को अपनाना होगा। इसके लिए उद्योग जगत से जुड़े लोगों से चर्चा की जा रही है। यह फैसला यूरोपीय संघ से प्रेरित बताया जा रहा है। इसमें स्मार्टफोन, टैबलेट, कैमरा और दूसरे टैबलेट के लिए टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट अनिवार्य किया जा रहा है।

यूजर्स को बेहद फायदा(USB-C)

  • चार्जिंग पोर्ट में टाइप C का इस्तेमाल करने से यूजर्स को बहुत सुविधाएं मिल जाएगी। इससे अलग-अलग प्रक्रियाओं की जरूरतें कम हो जाएगी। इतना ही नहीं, USB-C कनेक्टर न केवल रिवर्सिबल है, जिससे इसका इस्तेमाल आसान हो जाता है। टाइप C पुराने केबल की तुलना में ज्यादा तेजी से डेटा ट्रांसफर और चार्जिंग स्पीड भी मिलती है। इससे केबल और चार्जर की अव्यवस्था कम होगी और इसमें लगने वाली लागत भी कम होगी।
  • मैन्युफैक्चरर्स की नजर से देखा जाए तो चार्जिंग पोर्ट एक ही हो जाने से प्रोडक्शन प्रोसेस को आसान बनाता है। इससे उत्पादन लागत कम करता है।
  • टाइप-C पोर्ट के आने से पर्यावरणीय चुनौतियों में कमी ला सकता है। इलेक्ट्रॉनिक कचरे यानी ई-वेस्ट को कम कर सकता है। ई-वेस्ट को बढ़ने का कारण कई तरह के चार्जर का होना है।
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जानें कब तक लागू होगी ये स्कीम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2025 तक टाइप-C के चार्जर हर डिवाइस में आने लगेंगे। वहीं, सारे लैपटॉप में 2026 तक टाइप-C के पोर्ट लगेंगे।  

लागू होने की समयसीमा

यह निर्णय न केवल उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी होगा बल्कि पर्यावरणीय संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा। अलग-अलग प्रकार के चार्जर की जरूरत खत्म हो जाने से ई-वेस्ट में भारी कमी आएगी। इसके अलावा, यूजर्स को एक ही प्रकार के चार्जर का इस्तेमाल करने से सहूलियत होगी, जिससे चार्जिंग प्रक्रिया भी सरल और प्रभावी हो जाएगी।

औद्योगिक दृष्टिकोण से फायदे

सभी स्मार्टफोन और टैबलेट में एक समान चार्जिंग पोर्ट का होना मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया को सरल बना देगा। इससे न केवल उत्पादन की लागत में कमी आएगी बल्कि विभिन्न उपकरणों के लिए अलग-अलग चार्जर बनाने की आवश्यकता भी खत्म हो जाएगी।

पर्यावरणीय प्रभाव

टाइप-C पोर्ट का अनिवार्य होना इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कम करने में सहायक होगा। वर्तमान में, विभिन्न प्रकार के चार्जर की वजह से काफी मात्रा में ई-वेस्ट उत्पन्न होता है। एक मानक चार्जिंग पोर्ट होने से यह समस्या हल हो जाएगी और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

सरकार और उद्योग का सहयोग

भारतीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस फैसले को लागू करने के लिए उद्योग जगत से जुड़े लोगों से चर्चा की है। यह निर्णय यूरोपीय संघ से प्रेरित है, जिसने पहले ही इस दिशा में कदम उठाया है। स्मार्टफोन, टैबलेट, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक मानक चार्जिंग पोर्ट अनिवार्य करना एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे तकनीकी क्षेत्र में एकरूपता आएगी और उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव मिलेगा।

निष्कर्ष

भारत में जून 2025 से सभी स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए USB-C पोर्ट अनिवार्य करना एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम है। यह निर्णय न केवल उपभोक्ताओं को चार्जिंग के मुद्दों से राहत दिलाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा। टाइप-C पोर्ट के अनिवार्य होने से इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कमी आएगी और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।

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उद्योग जगत के लिए यह निर्णय उत्पादन प्रक्रियाओं को सरल और सस्ता बनाएगा। एक मानक चार्जिंग पोर्ट का होना मैन्युफैक्चरर्स के लिए भी लाभकारी साबित होगा, जिससे विभिन्न उपकरणों के लिए अलग-अलग चार्जर बनाने की आवश्यकता खत्म हो जाएगी।

सरकार और उद्योग के संयुक्त प्रयासों से यह पहल सफलतापूर्वक लागू होगी और भारत को एक स्थायी और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ाएगी। कुल मिलाकर, यह निर्णय सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा और तकनीकी क्षेत्र में नए मानक स्थापित करेगा।

इस पहल के साथ, भारत न केवल तकनीकी क्षेत्र में सुधार करेगा, बल्कि पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह कदम उपभोक्ताओं के लिए सुविधाजनक और पर्यावरण के लिए स्थायी समाधान प्रदान करेगा, जो कि एक बेहतर भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: भारत में USB-C पोर्ट अनिवार्य कब से होगा?

उत्तर: जून 2025 से भारत में सभी स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए USB-C पोर्ट अनिवार्य किया जाएगा।

प्रश्न 2: USB-C पोर्ट को अनिवार्य करने का उद्देश्य क्या है?

 उत्तर: इस पहल का उद्देश्य चार्जिंग समस्याओं को समाप्त करना, उपभोक्ताओं को सुविधा प्रदान करना और इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) को कम कर पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना है।

प्रश्न 3: क्या यह निर्णय केवल स्मार्टफोन और टैबलेट तक ही सीमित है?

उत्तर: नहीं, यह निर्णय स्मार्टफोन और टैबलेट के अलावा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, जैसे कैमरा और लैपटॉप पर भी लागू होगा। 2026 तक सभी लैपटॉप में भी USB-C पोर्ट अनिवार्य कर दिया जाएगा।

प्रश्न 4: USB-C पोर्ट के उपयोग से उपभोक्ताओं को क्या लाभ मिलेगा?

 उत्तर: USB-C पोर्ट रिवर्सिबल है, जिससे इसका उपयोग आसान होता है। यह पुराने केबल की तुलना में तेजी से डेटा ट्रांसफर और चार्जिंग स्पीड प्रदान करता है। इससे चार्जर और केबल की अव्यवस्था कम होगी और लागत में भी कमी आएगी।

प्रश्न 5: क्या यह निर्णय पर्यावरण पर कोई सकारात्मक प्रभाव डालेगा?

 उत्तर: हां, USB-C पोर्ट के अनिवार्य होने से इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कमी आएगी, जो विभिन्न प्रकार के चार्जर की वजह से उत्पन्न होता है। इससे पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।

प्रश्न 6: उद्योग जगत पर इस निर्णय का क्या प्रभाव पड़ेगा?

उत्तर: चार्जिंग पोर्ट के एकसमान होने से मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया सरल हो जाएगी और उत्पादन लागत में कमी आएगी। यह उद्योग जगत के लिए भी लाभकारी साबित होगा।

प्रश्न 7: यह निर्णय यूरोपीय संघ के फैसले से किस प्रकार प्रेरित है?

 उत्तर: यूरोपीय संघ ने पहले ही अपने क्षेत्र में USB-C पोर्ट को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। भारतीय इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसी दिशा में कदम उठाते हुए यह निर्णय लिया है।

प्रश्न 8: क्या सभी डिवाइस में USB-C पोर्ट अनिवार्य होगा?

 उत्तर: हां, 2025 तक सभी स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य उपकरणों में USB-C पोर्ट अनिवार्य कर दिया जाएगा। इसके बाद, 2026 तक सभी लैपटॉप में भी USB-C पोर्ट अनिवार्य होगा।

प्रश्न 9: क्या इस निर्णय से मैन्युफैक्चरर्स की उत्पादन प्रक्रिया प्रभावित होगी?

 उत्तर: हां, चार्जिंग पोर्ट के एकसमान होने से उत्पादन प्रक्रिया सरल हो जाएगी और उत्पादन लागत में कमी आएगी, जिससे मैन्युफैक्चरर्स को लाभ होगा।

प्रश्न 10: क्या यह निर्णय उपभोक्ताओं को तुरंत प्रभावित करेगा?

उत्तर: यह निर्णय 2025 से लागू होगा, इसलिए उपभोक्ताओं को इसके प्रभाव का अनुभव 2025 से मिलने लगेगा। इसके बाद सभी नए उपकरण USB-C पोर्ट के साथ आएंगे।